मैदान में खड़े हैं कई तरह के पेड़ सब की हरियाली है अलग-अलग जबकि जमीन एक है खड़े हैं : एक-दूसरे को सहते अपनी-अपनी ऋतुओं में फूलते-फलते साथ-साथ रहते वर्षों से।
हिंदी समय में प्रेमशंकर शुक्ल की रचनाएँ